किशोर सुरक्षा पर अहम कार्यशाला सम्पन्न

डीजीपी मुख्यालय में कार्यशाला में अजय भनोट और राजीव कृष्णा ने किशोर व बाल सुरक्षा मजबूत करने के निर्देश दिए। 75 जिलों और यूनिसेफ ने मिलकर प्रशिक्षण व समन्वय पर चर्चा की।

किशोर सुरक्षा पर अहम कार्यशाला सम्पन्न
HIGHLIGHTS:

➡️ किशोर सुरक्षा कार्यशाला सम्पन्न
➡️ अजय भनोट ने संवेदनशीलता पर ज़ोर
➡️ डीजीपी ने जीरो टॉलरेंस दोहराया
➡️ 75 जिले व यूनिसेफ शामिल
➡️ बाल संरक्षण इकाइयों को प्रशिक्षण

न्यायमूर्ति अजय भनोट और डीजीपी राजीव कृष्णा ने दिए बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने के दिशा–निर्देश

जन माध्यम 
लखनऊ।
शनिवार को डीजीपी मुख्यालय पर बाल सुरक्षा और किशोर न्याय के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। विशेष किशोर पुलिस इकाईयों एवं अन्य बाल संरक्षण इकाइयों के मध्य समन्वय एवं क्षमता संवर्धन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देश और प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारी, विशेषज्ञ व नीति निर्माता शामिल हुए।

इस महत्वपूर्ण कार्यशाला के मुख्य अतिथि मा० न्यायमूर्ति अजय भनोट, अध्यक्ष, किशोर न्याय समिति, मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद रहे, जबकि कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा उपस्थित रहे।कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि किशोरों और बच्चों की सुरक्षा केवल क़ानूनी दायित्व नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सामाजिक उत्तरदायित्व है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में प्रदेश के सभी 75 जिलों के संबंधित अधिकारी व विशेषज्ञ शामिल हुए, जिससे बाल सुरक्षा तंत्र के बीच मजबूत तालमेल स्थापित हो सके।

डीजीपी ने बताया कि यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला ने बाल संरक्षण के आधुनिक दृष्टिकोणों पर नई दिशा प्रदान की है। विशेष किशोर पुलिस इकाइयों को तकनीकी प्रशिक्षण, संवेदनशीलता और केस प्रबंधन की नई विधियों से अवगत कराया गया। राजीव कृष्णा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में महिला एवं बाल अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर कठोरता से अमल किया जा रहा है।

मिशन शक्ति को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश के सभी थानों और इकाइयों में 20115 तक विस्तृत व्यवस्थाएँ लागू की गईं, जिन पर निरंतर मॉनिटरिंग के साथ काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध रोकने के लिए वीमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी विंग को मजबूत किया गया है। जम्मू में संचालित विशेष यूनिटों के अनुभवों को भी इस कार्यशाला में साझा किया गया, जिससे उत्तर प्रदेश में सुरक्षा मॉडल और अधिक सुदृढ़ बनेगा।

मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि किशोर न्याय केवल दंड नहीं, बल्कि सुधार, पुनर्वास और संवेदनशील संरक्षण व्यवस्था का हिस्सा है। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि किशोरों से जुड़े मामलों में मानवीय दृष्टिकोण सर्वोपरि रहे।उन्होंने कहा बच्चों को सुरक्षा, न्याय और सम्मान देना किसी भी सभ्य समाज की बुनियादी आवश्यकता है। पुलिस, न्यायपालिका और समाज मिलकर ही इस दिशा में वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं।

कार्यशाला में बाल संरक्षण इकाइयों के बीच समन्वय, केस स्टडी, महिला व बाल सुरक्षा से जुड़े कानूनी प्रावधान, साइबर अपराध में वृद्धि एवं उसकी रोकथाम जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।डीजीपी राजीव कृष्णा ने सभी जिलास्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्यशाला में सीखे गए प्रावधानों एवं तकनीकों को जमीनी स्तर पर तुरंत लागू किया जाए, जिससे बच्चे सुरक्षित रहें और किशोर न्याय व्यवस्था और अधिक मजबूत बने।

यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश पुलिस की उस निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसके तहत राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित, संवेदनशील और न्यायपूर्ण बनाया जा रहा है।